इस पोस्ट में हम AEPS के बारे में पूरी जानकारी देंगे। हम आपको बताएंगे कि ये क्या है। और इससे आपको क्या फायदा है। AEPS का काम करने का तरीका है? और इसका चार्ज क्या है। लेकिन इससे पहले AEPS से जुड़ी एक छोटी सी घटना

AEPS और राम आसरे
कोरोना की वजह से जब लॉकडाउन हो गया तो करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए। गाजियाबाद में मिस्त्री का काम करने वाले रामआसरे के पास भी कुछ काम नहीं था। राम आसरे ने कुछ दिन इंतजार किया लेकिन जैसे जैसे दिन बीत रहा था उसकी चिंता बढ़ती जा रही थी। ऐसे बैठे-बैठे कितने दिन चलेगा। कहीं यहां उसे कोरोना हो गया तो। कितने केस बढ़ते जा रहे हैं। प्रतापगढ़ के उसके गांव में तो कोई कोरोना नहीं है। उसके बीबी बच्चे भी हर दिन उसकी खैरियत पूछते रहते हैं। रामआसरे का मन नहीं लग रहा था। घर के लिए उड़ जाने का मन कर रहा था।
और आखिरकार एक दिन उसे मौका मिल गया। उसके जान-पहचान के दो लोग ट्रॉली से बलिया के लिए जा रहे थे। राम आसरे उनके साथ हो लिया। तीनों- तीनों बारी-बारी से ट्रॉली चलाते। कहीं कुछ खाने को मिल जाता तो खा लेते। लेकिन कई बार खाने को नहीं भी मिलता था। आखिरकार सात दिन में राम आसरे अपने गांव पहुंच गया।
लेकिन वहां पहुंचने पर भी उसकी मुश्किल कम नहीं हुई क्योंकि परिवार के पास पैसे नहीं थे। और लॉकडाउन की वजह से सबकुछ बंद। ऐसे में बैंक या एटीएम जाना बहुत मुश्किल था। वैसे भी एटीएम उसके घर से करीब बीस किलोमीटर दूर था। लेकिन राम आसरे की मुश्किल घर बैठे-बैठे ही सुलझ गई। क्योंकि दो दिन बाद खुद बैंक मित्र चलकर गाँव आ गया था। उसने रामआसरे के खाते से पैसे निकाल कर उसे कैश दे दिया।
दरअसल ऐसे मुश्किल वक्त में बैंक मित्र का आना भगवान के आने के जैसा था। ये बैंक मित्र हफ्ते में एक दिन गांव आता था। और लोगों उसके जरिए अपने खाते से पैसे निकाल लेते थे।
लॉकडाउन के वक्त में करोड़ों लोगों के लिए पैसे की ये होम डिलिवरी वरदान बन गई। तमाम बैंकों से जुड़े ये बैंकमित्र गांव-गांव जाकर लगातार लोगों को पैसे देते रहे। सरकार ने भी गरीबों के खाते में जो पैसे भेजे उसे भी बैंक मित्र ने ही उनके हाथ में पहुंचाया। डाकियों ने भी लाखों लोगों को घर तक पैसे पहुंचाए। और ये सब संभव हुआ AEPS की वजह से।
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AEPS क्या है? [Full Form and Meaning]
AEPS का फुल फॉर्म है Aadhaar Enabled Payment System? हिन्दी में हम इसे आधार आधिरत भुगतान प्रणाली कह सकते हैं। जैसे का इसके नाम से ही साफ है कि ये पैसे का लेन-देन करने का एक और तरीका है।
AEPS ट्रांजैक्शन का नया और अनोखा तरीका है। इस तरीके में आपको पैसा निकालने के लिए ना तो विदड्राल फॉर्म की जरूरत होती है, ना चेक की और ना ही एटीएम कार्ड की। यहां तक कि इसके लिए फोन की जरूरत भी नहीं होती है।
इसके पहले जितने भी पेमेंट सिस्टम रहे हैं उनके जरिए पैसा निकालने के लिए आपको चल कर जाना होता था। लेकिन इस तरीके में पैसा आपके पास चलकर आता है।
दरअसल जब भी हम अपने बैंक खाते से पैसे निकालते हैं यै किसी को भेजते हैं तो उसके पहले ये पक्का किया जाता है कि आप ही खाते के असली मालिक हैं। ये साबित करने के लिए authentication के अलग-अलग तरीके अपनाए जाते हैं।
जैसे पैसे निकालने के लिए चेक में आपकी साइन ली जाती है। एटीएम में आपको पिन डालना होता है। UPI Payment आपके अपने फोन और यूपीआई पिन डालने पर ही काम करता है। और IMPS के लिए पासवर्ड या पिन की जरूरत होती है।
AEPS ट्रांजैक्शन के लिए आपको इनमें से किसी की जरूरत नहीं होती है। इस तरीके में authentication के लिए आपके उंगलियों की छाप ली जाती है। यानी आपको इस तरीके से पैसा निकालने या भेजने के लिए अपने पास कुछ भी रखने की जरूरत नहीं है।
AEPS से मिलने वाली सहूलियतें
तो AEPS की वजह से बैंक चलकर आपके घर आ गया है। अब आइए देख लेते हैं कि AEPS से आपको क्या क्या सुविधा मिलती है।
1. पैसे की निकासी (Money Withdrawal)
AEPS का ये सबसे बड़ा इस्तेमाल है। दूरदराज के इलाकों में इस सिस्टम ने धूम मचा रखी है।
2. बैलेंस पता करना (Balance Check)
जो लोग UPI सिस्टम का यूज नहीं कर सकते हैं उनके लिए अकाउंट बैलेंस पता करने का आसान तरीका है। आप पिछले 10 लेनदेन का मिनी स्टेटमेंट भी निकलवा सकते हैं
3. पैसे जमा करना (Cash Deposit)
AEPS के जरिए कैश भी जमा हो जाता है। ये सुविधा बहुत काम की है। क्योंकि बैंक जाए बिना कैश जमा कर पाना मुश्किल है।
4. पैसे भेजना (Fund Transfer)
आप AEPS का इस्तेमाल करके पैसे भी भेज सकते हैं। दुकानदार को पेमेंट किया जा सकता है। फंड ट्रांसफर के लिए ये सिस्टम आधार नंबर का इस्तेमाल करता है। फंड ट्रांसफर के लिए आपको अपने ही बैंक के बैंक मित्र से संपर्क करना होगा।
AEPS के जरिए पैसा पाने के लिए दुकानदार को एक एप इस्तेमाल करना होगा। इसके अलावा उसके पास फिंगर प्रिंट स्कैनर भी होना चाहिए।
AEPS Payment System के लिए जरूरी चीजें
AEPS के जरिए बैलेंस चेक करने के लिए या फिर पैसे निकालने के लिए आपको कुछ बेसिक जानकारी देनी होती है।
1. आधार नंबर
AEPS Transaction के लिए आधार नंबर बतानी जरूरी है। क्योंकि इसी आधार पर सिस्टम आपके उन सभी बैंक अकाउंट को खोज निकालेगा जहां आपका आधार नंबर रजिस्टर्ड है
2. IIN नंबर
इसके अलावा आपको अपने बैंक का IIN (Full Form – Issuer Identification Number) नंबर बताना होगा। अगर आपको ये नहीं पता है तो बैंक का नाम ही बता दीजिए। बैंक मित्र खुद IIN पता कर लेगा। वैसे बैंक मित्र को ज्यादातर बैंकों के IIN रटे होते हैं और वो खुद IIN डाल लेते हैं। इसलिए इसके लिए आपको टेंशन नहीं लेना है।
3. उंगलियों की छाप
और आखिर में आपकी उंगलियों की जरूरत होगी। क्योंकि उंगलियों की छाप से ही पता चलेगा कि आप असली खाताधारक हैं कि नहीं। कभी-कभी उंगलियों की रेखाएं मिट जाती हैं ऐसे में सिस्टम उसे पढ़ नहीं पाता है। इस स्थिति में आपके आँख की पुतलियों को स्कैन किया जाता है। अब बैंक मित्र के पास आइरिस स्कैनर भी होता है।
आपने देखा कि आपको इस सिस्टम के लिए कुछ लेकर नहीं जाना होता है। बस अपना आधार नंबर याद रखिए।
आधार के जरिए पहचान कैसे सत्यापित होती है? Authentication Through Aadhaar
बैंक से पैसे के लेनदेन के मामले में काफी एहतियात बरती जाती है। बैंक आपको पैसे तभी देते हैं जब उनको पक्का हो जाता है कि असली खाताधारक ही पैसा मांग रहा है।
आपकी असलियत को पक्का करने के लिए कई तरीके अपनाए जाते हैं। जैसे जब आप विद्ड्राल स्लिप भरकर पैसे निकालते हैं तो उसके लिए पासबुक देना होता है। साथ ही आपका सिग्नेचर या फिर अंगूठे का निशान चेक किया जाता है।
जब आर चेक के जरिए पैसे निकालते हैं तो देखा जाता है कि चेक आपको इश्यू की गई चेकबुक से ही लिया गया है कि नहीं इसके अलावा आपके सिग्नेचर या फिंगरप्रिंट चेक किए जाते हैं
नेटबैंकिंग में यूजर आईडी, लॉगिन पासवर्ड, ट्रांजैक्शन पासवर्ड और ओटीपी के जरिए आपकी पहचान सत्यापित की जाती है।
यूपीआई पेमेंट सिस्टम आपके खाते में रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर ही काम करता है। इसके अलावा आपको UPI PIN भी डालना होता है।
इसी तरह AEPS में आपकी उंगलियों के निशान या फिर आखों की तस्वीर के जरिए पहचान पक्की की जाती है।
इस सिस्टम में आपकी पहचान पक्की करने में बैंक मित्र को कोई मेहनत नहीं करना होता है। बल्कि सिस्टम खुद वेरिफाई करता है कि आप सही आदमी हैं कि नहीं। आपकी असलियत को जानने के लिए सिस्टम आपकी उंगलियों की छाप की फोटो तुरंत आधार डेटाबेस के पास भेजता है।
वहां पर इस छाप को आपके आधार नंबर के साथ दर्ज उंगलियों की छाप के साथ मिलान किया जाता है। अगर आपकी उंगलियों की छाप, आधार डेटाबेस में दर्ज उंगलियों की छाप के साथ मैच कर जाती है तो आपको लेनदेन की इजाजत मिल जाती है।
आपको याद होगा कि जब आप आधार बनवा रहे थे तो उस समय आपकी दसों उंगलियों की छाप और आँख की पुतलियों को स्कैन किया गया था। यही रिकॉर्ड हमेशा कि लिए आपके आधार नंबर के साथ जुड़ जाता है।
AEPS Transaction का वो Process जो आप को दिखता नहीं है
AEPS सबसे Advanced पेमेंट सिस्टम है। इस सिस्टम भारत सरकार ने आधार का इस्तेमाल करके बहुत बड़ी समस्या दूर कर दी है। क्योंकि आधार और उससे जुड़े फिंगरप्रिंट की वजह पेमेंट बहुत आसान हो जाता है।
दरअसल ये हम सभी जानते हैं कि किन्ही भी दो लोगों के अंगुलियों की छाप एक जैसी नहीं हो सकती है। इसी लिए एक जमाने से लोगों की पहचान पुख्ता करने के लिए अंगलियों की छाप ली जाती रही है। और अब तो लगभग सभी स्मार्टफोन को अनलॉक करने के लिए फिंगरप्रिंट स्कैनर का इस्तेमाल होता है।
उंगलियों की तरह किन्ही दो लोगों की आंखों की पुतली भी मैच नहीं करती है। आधार नंबर देने में इन दोनों छापों का इस्तेमाल किया गया है। और इसीलिए एक आदमी दोबारा आधार नंबर नहीं बनवा सकता है।
चूंकि अब करीब-करीब हर आदमी के उंगलियों की छाप आधार डेटाबेस में है इसलिए हम जिस किसी भी आदमी की पहचान पुख्ता करनी हो उसके उंगलियों की छाप को आधार डेटाबेस से मिलान किया जा सकता है।
AEPS ट्रांजैक्शन में नीचे दिए 6 इंस्टीट्यूशन शामिल होते हैं।
- ग्राहक – यानी आप जिसके पास कम से कम एक बैंक खाता है।
- बैंक मित्र (Banking Correspondent) या फिर Merchant जिसके पास AEPS डिवाइस होगी। इसी डिवाइस से फिंगरप्रिंट स्कैन किया जाता है।
- बैंक मित्र का बैंक – हर बैंक मित्र किसी ना किसी बैंक से जुड़ी होता है। वही बैंक उसे ट्रांजैक्शन करने की सुविधा देता है.
- आपका यानी ग्राहक का अपना बैंक – चूंकि लेनदेन आपके बैंक खाते से होगा इसलिए आपका बैंक भी इस ट्रांजैक्शन में शामिल होगा । अगर बैंक मित्र और आपका बैंक एक ही होगा तो आप किसी दूसरे को पैसा भेज भी सकते हैं
- UIDAI (Unique Identification Authority of India) – ये संस्था आधार का पूरा डेटाबेस रखती है। यही आपके फिंगरप्रिंट को मैच करके बताती है कि आप जो आधार नंबर बता रहे हैं वो आपका ही है या नहीं।
- NPCI – ये संस्था पेमेंट सेटलमेंट और स्विचिंग का काम करती है। यही दोनों बैंक और आधार डेटाबेस रखने वाली अथॉरिटी के बीच कड़ी का काम करती है।
AEPS ट्रांजैक्शन का Charge
AEPS से आपको घर बैठे पैसा तो मिल जाता है। लेकिन इसके लिए आपको चार्ज भी देना पड़ता है। ये चार्ज सीधे आपके बैंक खाते से कट जाता है। आपको नकद देने की जरूरत नहीं होती है।
दरअसल जो बैंक आपको बैंक मित्र भेजकर सहूलियत देता है वही सबसे ज्यादा चार्ज लेता है। उसे Transaction value का 1% तक पैसा लेने का अधिकार दिया गया है। लेकिन ये चार्ज 15 रुपए से ज्यादा नहीं हो सकता है।
इसके अलावा बैंक कम से कम पांच रुपए चार्ज करेगा भले ही आपका ट्रांजैक्शन कितना छोटा ही क्यों ना हो। बैलेंस चेक करने के लिए भी ये चार्ज लगेगा।
इसके अलावा सेटलमेंट की सुविधा देने वाला NPCI भी हर ट्रांजैक्शन के लिए 35 पैसे चार्ज करता है।
UIDAI भी अपने डेटाबेस के लिए पैसा चार्ज कर सकता है। हालांकि अभी वो ये सुविधा फ्री में दे रहा है।
महंगे ट्रांजैक्शन चार्ज की वजह से ज्यादातर लोग पैस निकालने के लिए इस सुविधा का फायदा उठाते हैं। क्योंकि अगर वो बैंक या एटीएम तक जाएंगे तो संभव है कि ज्यादा ही खर्च हो जाए। फंड ट्रांसफर के लिए तो UPI पेमेंट सिस्टम ही सबसे अच्छा है क्योंकि ये फ्री है।
कई बार शहरों में रह रहे लोगों को अंदाजा भी नहीं होता है कि AEPS ने किस तरह से गांव में उपयोगी साबित हो रहा है। मैं भी जब गांव गया तो देखा को लोग इस तरीके का खूब इस्तेमाल कर रहे हैं और उन्हे पांच दस रुपए का चार्ज देने भी गुरेज नहीं है क्योंकि वो किसी कस्बे या शहर जाने से बच जाते हैं। पैसा तो बचता ही है समय भी बचता है।
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